Home     |     Contact Us      |     Email Login
News & Events
  • 07/01/2025: One Day Workshop on OTR Generation for PMS
  • 28/12/2024: Valedictory Programme of Real Teaching Practice of B.Ed. First Year
  • 27/12/2024: Activities in Real Teaching Practice Schools
    • Writing Competition at GSSS, Odhan
    • Writing Competition at GSSS, Nuhianwali
    • Quiz Competition at GHS, Ghukanwali
  • 10/12/2024: One Day Workshop on NAAC
    • Towards Academic Excellence Understanding New NAAC Guidelines - 2024
  • 05/12/2024 to 28/12/2024: Real Teaching Practice of B.Ed. First Year
  • 18/11/2024 to 03/12/2024: Micro Teaching
  • 18/10/2024 to 22/10/2024: School Based Internship Orientation Programme
  • 12/11/2024: Road Safety Quiz - Round I
  • 11/11/2024: Educational Trip to Disha/ Prayas Special School, Sirsa
  • 29/10/2024: Diwali Celebration - जशना दी शाम
  • 21/10/2024 to 22/10/2024: Talent Hunt - अन्वेष्णा
  • 15/10/2024: Freshers’ Party – नवोन्मेष
  • 10/10/2024: Orientation Programme - दीक्षारम्भ
  • 26/09/2024: Financial Literacy Awareness Programme
  • 14/09/2024: Quiz Competition on Hindi Diwas
  • 05/09/2024: Teachers Day
  • 15/08/2024: Independence Day
  • 07/08/2024: Teej
Principal's Message
शिक्षा सिद्धांत नहीं है। शिक्षा अतीत का विधान भी नहीं है। शिक्षा सिर्फ प्रार्थनाएं नहीं है। शिक्षा के नाम पर जो शब्द पाठ्यक्रम की पगडंडियों पर चल रहे हैं, वह खुद सड़क बन रहे हैं। शिक्षा तो 'अनुभूत सत्य' से साक्षात्कार करने की अनवरत ललक है, आगत से बतियाने की निष्ठावान चेष्टा है, शिक्षा तो वर्तमान का वह अक्ष है जिस पर सारे परिवर्तनों का पहिया घूमता है। शिक्षा तो वह बिन्दु है, हमारे भीतर, जहां रोज ही तो नया कुछ घटता है, शिक्षा प्रयोग है शास्त्र नहीं, प्रयोग भविष्योन्मुखी होते हैं -यात्रा करते हैं अंधेरे से उजाले की ओर। शास्त्र अतितधर्मी होते हैं। परिभाषाओं के ठहराव है शास्त्र। शास्त्रों में क्रान्ति हो चुकी होती है। भविष्य में क्रान्ति के सपने हुआ करते हैं। ये सपने एक अध्यापक पूरा करता है। अध्यापक एक लय पैदा करता है। आपकी हृदय -वीणा को छेड़कर एक धुन पैदा करता है। कोने में रखी हुई वीणा में से कोई ध्वनि नहीं निकलती। यह वीणा तो ऐसे ही पड़ी है।‌ जब वीणा तो ऐसे ही पड़ी है। जब तक कोई हाथ उसे न छुएं, संगीत पैदा नहीं होता। गुरु भी तुम्हारे भीतर एक गीत जगाता है। जहां तुम अपने भीतर कभी न गए थे, तुम्हें वहां ले जाता है, तुम्हें तुमसे परिचित करवाता है। तुम्हारे भीतर जो बीज की तरह पड़ा है, तुम्हें याद दिलाता है कि तुम इसके वृक्ष बन सकते हो, इसमें फल-फूल खिल सकते हैं। तुम्हारे भीतर जो संभावना है उसे वास्तविकता का मार्ग बताता है। संभावनाओं को साकार करवाता है। मेरा जाना हुआ मेरा है, तुम्हारा जाना हुआ तुम्हारा है। जानना खुद ही होता है और चाहिए भी यही की हम खुद ही जानें। हमारा अंतर्मन जानने को उत्सुक रहना चाहिए। सच्चाई तो प्राणों की गहराई से अनुभव होती है। जिस तरह जल के संबंध में लाख पढ़ो, लाख सुनो।‌जब तक पीया न जाए, जल का गुण समझ नहीं आएगा। अगर खुद को प्यास न हो और कोई जबरदस्ती जल पीला दे तो तृप्ति नहीं होती। तृप्ति के लिए प्यास चाहिए। दरअसल तृप्ति जल से नहीं होती, तृप्ति तो प्यास की सघनता पर निर्भर करती है। हम चाहे कितना ही बढ़िया पढ़ाई का वातावरण दे दें, पुस्तकीय सहायता दे दें, गुरुजन तन-मन से अक्षर-अक्षर घोलकर भी तुम्हे पिला दे, तब तक कुछ हासिल नहीं होगा। जब तक तुम्हारे भीतर ज्ञान की प्यास नहीं जगी है। तुममें विराट ऊर्जा है, बस उसे जानना है। उसे जानना ही असली अध्ययन है। ज्ञान की इस पिपासा को जानना ही हजारों मील लम्बी यात्रा शुरू करने के लिए उठाया गया पहला कदम है। इस नई यात्रा के लिए शुभकामनाएं, माता हरकी देवी महिला शिक्षा महाविद्यालय परिवार आपकी इस यात्रा का सहगामी होने के लिए तत्पर है।

शुभकामनाएं
डॉ कृष्ण कांत
Our Affiliation
Event Calendar
Last Updated : 23-11-2019
© copyright 2011, Mata Harki Devi College of Education, All rights reserved
Website Designed & Developed by : iNET Business Hub